भाग्य Vs कर्म No Further a Mystery
भाग्य Vs कर्म No Further a Mystery
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मन में अच्छा सोंच कर काम शुरू करो , जिससे काम में जोश रहे , दिमाग फ़ालतू सोंचने के बजाय काम पर फोकस हो सके
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
अस्पताल में फिलहाल डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम उनकी स्थिति पर करीबी निगरानी रख रही है। हालांकि अब तक अस्पताल की ओर से कोई आधिकारिक मेडिकल बुलेटिन जारी नहीं किया गया है।
सच्चाई, ईमानदारी और सकारात्मक दृष्टिकोण व्यवसाय में सपनों और सफलता को जन्म दे सकते हैं। दूसरी ओर, धोखा देना, विलंब करना और समग्र नकारात्मकता विनाशकारी है और असफलता का कारण बनती है।
भगवान् के भरोसे मत बैठो….का पता…भगवान् तुम्हरे भरोसे बैठा हो?
सोनिया गांधी की फिर बिगड़ी तबीयत, दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती
प्रतिभा को हमने सिरे से ख़ारिज कर दिया , और उन स्ट्रगल्स को भी जो मोदी ने मोदी बनने के दौरान की
आज एक बालक निजी विद्यालय में पढ़ता हे और दूसरा शिक्षा से वंचित है ,क्या ये उस बालक का दुर्भाग्य नही?
मैंने ऐसे कई बच्चे देखे जिन्होंने तीन , चार साल मेडिकल या इंजिनीयरिंग की रोते हुए पढाई करने के बाद लाइन चेंज की
अक्सर आपको ज्ञानी लोगों द्वारा ये सलाह दी जाती है कि आपको अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। कर्म के सिद्धांत के अनुसार आपके कर्म more info ही आपके भाग्य का निर्माण करते हैं, आपके सुख-दुःख का कारण होते हैं। लेकिन ये सवाल कई लोगों के मन में होता है कि क्या कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है। तो, चलिए जानते हैं कि इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज क्या कहते हैं....
मैं बड़े ही असमंजस में पढ़ गया और कुछ और हिम्मत जुटा कर बोला।
मैं-जी, मैं आपसे ज्योतिष सीखने की इच्छा से आया हूं।
जब समय ख़राब हो तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है…
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